नमस्ते मित्रों ,
मैं एक साधारण सी महिला हूँ। मेरे जीवन के करीब 37 साल ऐसे ही चले गये। अब जाकर सोचा की अपने लिए कुछ लिखु। अभी तक तो अपनों मे ही ,स्वयं को जी रही थीं।
आज अपने बारे में कुछ कहनें से पहले ,मैं जो एक महिला हूँ। उस महिला के बारे में बात करती हूँ।
मैं महिला हूँ,महिला के जीवन पर अपना हक जन्म से ही कम ही होता हैं। ये बात आप सब जानते हैं, बचपन से ही उन्हें जताया जाता हैं कि वे पराई हैं । बचपन से ही कुछ न कुछ समझौते उसके जीवन में चलते ही रहते हैं,जो मरने तक जारी रहते हैं।
हम सभी महिलाऍ अपना जीवन अपने लिए कम और अपनों के लिए ज्यादा जीती हैं ,श्याद इसे ही भारतीय संस्कृति कहते हैं।
एक महिला का जीवन कई रिश्तों के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता हैं ,जब जन्म होता हे तो वो सिर्फ एक नन्ना फूल होती है उस नन्ने फूल से ,उसकी माँ का आँचल महक उठता हैं और उस जन्म के साथ वह नन्ना फूल कई रिश्तों में बंध जाता हैं। सबसे पहले वो अपनी माँ के लिए एक खूबसूरत एहसास होती हैं और पिता के लिए गर्व ,प्यार ,सम्मान ,अभिमान ,और अपना नया बचपन होती हैं.. . . . . . . . . पर ये बातें आज के पिता के लिए हैं। इसके विपरित था, पुराना समय जहाँ बेटी होनें पर मातम होता था। बोझ होती थी बेटी, जहाँ दादा ,दादी और पिता बेटी के जन्म पर खुश नहीं होते ,वहीं दादी जो खुद एक औरत हे माँ को ताने सुनाती ।
उस माँ की नन्नी परी की खुशियों का ख्याल किसी को नहीं ।
जब माँ लाढ करे तो दादी कहें ज्यादा लाढ मत कर ,पराये घर जाना हैं वही शब्द ,उसका जीवन बदल देते ''''''''
माँ तुम अब .......
कहीं खो न जाए स्त्री ।
I am a simple woman. Almost 37 years of my life went like this. Now thought to write something for myself. Till now, i was living for everyone .
Before I say anything about myself, I am a woman. I wanna talk about that woman.
i am a woman,i have very little right on my life from birth. You all know this thing, from childhood they are told that they are strangers. From childhood, some compromises continues in her life, which continue till she dies.
We all women live our lives less for ourselves and more for our own people, might it be Indian culture.
A woman's life revolves around many relationships, when she is born, she is just a flower, with that puny flower, her mother's face glows and with that birth she becomes a beautiful feeling for her mother. and love, respect, pride, and new childhood for her father .. . . . . . . .this all things are for today's father . those days were just opposite.the girl child was like burden for her own family ,where the grandfather ,grandmother and father were unhappy at her birth,grandmother who herself a woman, taunts the mother.
No one cares about that mother's little angel's happiness.
मैं एक साधारण सी महिला हूँ। मेरे जीवन के करीब 37 साल ऐसे ही चले गये। अब जाकर सोचा की अपने लिए कुछ लिखु। अभी तक तो अपनों मे ही ,स्वयं को जी रही थीं।
आज अपने बारे में कुछ कहनें से पहले ,मैं जो एक महिला हूँ। उस महिला के बारे में बात करती हूँ।
मैं महिला हूँ,महिला के जीवन पर अपना हक जन्म से ही कम ही होता हैं। ये बात आप सब जानते हैं, बचपन से ही उन्हें जताया जाता हैं कि वे पराई हैं । बचपन से ही कुछ न कुछ समझौते उसके जीवन में चलते ही रहते हैं,जो मरने तक जारी रहते हैं।
हम सभी महिलाऍ अपना जीवन अपने लिए कम और अपनों के लिए ज्यादा जीती हैं ,श्याद इसे ही भारतीय संस्कृति कहते हैं।
एक महिला का जीवन कई रिश्तों के इर्द-गिर्द ही घूमता रहता हैं ,जब जन्म होता हे तो वो सिर्फ एक नन्ना फूल होती है उस नन्ने फूल से ,उसकी माँ का आँचल महक उठता हैं और उस जन्म के साथ वह नन्ना फूल कई रिश्तों में बंध जाता हैं। सबसे पहले वो अपनी माँ के लिए एक खूबसूरत एहसास होती हैं और पिता के लिए गर्व ,प्यार ,सम्मान ,अभिमान ,और अपना नया बचपन होती हैं.. . . . . . . . . पर ये बातें आज के पिता के लिए हैं। इसके विपरित था, पुराना समय जहाँ बेटी होनें पर मातम होता था। बोझ होती थी बेटी, जहाँ दादा ,दादी और पिता बेटी के जन्म पर खुश नहीं होते ,वहीं दादी जो खुद एक औरत हे माँ को ताने सुनाती ।
उस माँ की नन्नी परी की खुशियों का ख्याल किसी को नहीं ।
जब माँ लाढ करे तो दादी कहें ज्यादा लाढ मत कर ,पराये घर जाना हैं वही शब्द ,उसका जीवन बदल देते ''''''''
माँ तुम अब .......
कहीं खो न जाए स्त्री ।
I am a simple woman. Almost 37 years of my life went like this. Now thought to write something for myself. Till now, i was living for everyone .
Before I say anything about myself, I am a woman. I wanna talk about that woman.
i am a woman,i have very little right on my life from birth. You all know this thing, from childhood they are told that they are strangers. From childhood, some compromises continues in her life, which continue till she dies.
We all women live our lives less for ourselves and more for our own people, might it be Indian culture.
A woman's life revolves around many relationships, when she is born, she is just a flower, with that puny flower, her mother's face glows and with that birth she becomes a beautiful feeling for her mother. and love, respect, pride, and new childhood for her father .. . . . . . . .this all things are for today's father . those days were just opposite.the girl child was like burden for her own family ,where the grandfather ,grandmother and father were unhappy at her birth,grandmother who herself a woman, taunts the mother.
No one cares about that mother's little angel's happiness.
gajab
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