नमस्ते मित्रों
एक और
कविता सुनाती हुँ उनकी ,जो मेरे प्यार की हैं ।
'''' सोचा न था इतनी खूबसूरत होगी
मेरी जान।
सूरत से ही नहीं दिल से
भी सुन्दर होगी मेरी जान।
हर कदम पर ,हर मोड़ पर।
जिंदगी के हर कारवे पर , साथ देगी
मेरी जान।
सोचा न था इतनी खूबसूरत होगी
मेरी जान।
स्वर्ग की अप्सराओं को , परियों की
शहजादी को
सुंदरता की वादियों को , मात देगी मेरी
जान।
सोचा न था. . .
. ..
दूर होकर भी आखों में बसी हों।
हर जगह तुम ही तुम दिखती हो।
तुम्हारी मासूमियत ने ,दिवाना बना लिया मुझे मेरी जान। .
सोचा न था. . . .. .. . .
तुम्हे ही हरपल याद करता हूँ।
तस्वीर तेरी हरपल तकता हूँ।
सोचा न था इतना , बेइन्तहा प्यार करुगा मेरी जान।
सोचा न था इतनी खूबसूरत होगी मेरी जान। '''
ये प्यार ही था।
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें
your suggetions are my priority.